Tuesday, March 01, 2016

भारत और लोकतंत्र

लोकतंत्र भारत का सबसे बड़ा धर्म है और बहुत पुराना धर्म है। ब्रिटिश ने गिफ्ट में दिया ऐसी बात नहीं। लोकतंत्र का आधार है मानव अधिकार। पहले मानव का राजनीतिक निर्माण होता है। मानव अधिकार द्वारा। तब जा के एक व्यक्ति एक मत। तो भारत के संविधान में सुरक्षित है मानव अधिकार। कोई व्यक्ति या संगठन मानव अधिकार का हनन करे तो कोई भी आम नागरिक कोर्ट में जा के उजुरी दे सकता है। वो तो इस पार्टी या उस पार्टी को वोट दो वाली बात नहीं है। फ्री स्पीच allow है। कोई गलत भी बोले तो बोल सकता है। लेकिन हिंसा नहीं allow है। कोई व्यक्ति या संगठन हिंसा पर न उतर सकती है। हिंसा का योजना नहीं बना सकती। हिंसा के लिए नहीं उकसा सकती। आगजनी तोड़फोड़ नहीं कर सकती। लोकतंत्र में सिर्फ व्यक्ति नहीं संपत्ति को भी प्रोटेक्ट करती है राज्य। राज्य का पहला कर्तव्य है व्यक्ति और  संपत्ति का संरक्षण। कौन पार्टी जिता कौन हारा उससे क्या फर्क पड़ता है? संविधान है, कानुन है, पुलिस है, कोर्ट है। अगर नागरिक शिकायत दर्ज न करे तो वो नागरिक की कमजोरी।

संविधान है, कानुन है, पुलिस है, कोर्ट है। ये बात मेरे को मालुम है। लेकिन नागरिक आगे न बढे तो वो हुवी नागरिक उदासीनता। Awareness Campaign करो।

रह गयी वाक स्वतंत्रता की बात। कोई गलत बोले तो आप उसके विरुद्ध बोलो। आप सही बोलो। जोड़ से बोलो। आप उसकी बोलती बंद नहीं कर सकते। कोई भी न कर सकता। न प्रधान मंत्री न राष्ट्रपति न पुलिस। आप भी नहीं। लेकिन आप बोल तो सकते हो। आप कह सकते हो उसने गलत बोला। सही क्या है वो आप बोलो।

और आप के सिर्फ बोलने के आधार पर आप को किसी सरकार ने धर पकड़ किया तो आप कोर्ट में जाओ। केस जित जाओगे। लेकिन आतंकवाद तो प्रत्येक लोकतंत्र में गैर कानुनी है। कानुन का राज्य जहाँ है वहाँ हिंसा पर प्रतिबन्ध रहता है। हिंसाका आह्वान नहीं किया जा सकता। वो फ्री स्पीच नहीं है। लेकिन विचार प्रकट किया जा सकता है। मान लो आप का मानना है कि कश्मीर में अन्याय हो रहा है। तो बोलो कि कश्मीर में अन्याय हो रहा है। वो फ्री स्पीच है। हिंसा allow नहीं है, स्पीच तो आप जो बोलो।

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