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Sunday, May 10, 2015

बिहार का मामला

बिहार में नीतिश का पोजीशन दिल्ली में केजरी के जैसा नहीं है --- फिर भी मजबुत तो है। २०१४ में प्रधान मंत्री पद के लिए मोदी के अलावे और कोइ लड़ ही नहीं रहा था। मैदान में कोइ और था ही नहीं। अभी बिहार में नीतिश अकेले कैंडिडेट हैं मुख्य मंत्री के। बीजेपी का कोइ कैंडिडेट नहीं है। जितन तो सिर्फ वोट काट्ने के फिराक में हैं। उनको लोभ है कि हंग असेंबली आ जाए किसी तरह तो बीजेपी वाले शायद भाव दें, अभी तो नहीं दे रहे हैं।

नीतिश ने शायद गलती की --- जब वो २०१३ में बीजेपी से बिहार में टुट गए। उसके बाद गलती किए मुख्य मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया। दो दो बार जनता के मैंडेट का अपमान हुवा। अभी भी नवीन का लाइन मेरे को ठीक लग रहा है। वो knee jerk opposition के पक्ष में नहीं हैं। कांग्रेस के पास दुसरा ऑप्शन नहीं हैं। उनको तो knee jerk opposition ही करना होगा। लोकतंत्र का असुल है। लेकिन नवीन उसमें नहीं फँसना चाहते। वो thoughtful opposition का रोल अदा करना चाहते हैं।

नीतिश क्या चाहते हैं? वो चाहते थे मोदी न आवे, आडवाणी आवे, हिन्दु rate of growth को बरक़रार रखे। बीजेपी ने आडवाणी को sideline किया तो इन्होने पगड़ी पहना दी मुलायम को। बीजेपी में अडवाणी और जनता परिवार में मुलायम --- दोनों ही हिन्दु rate of growth वाले हैं।

ये आश्चर्य की बात है। नीतिश खुद development man हैं। फिर?

बिल क्लिंटन का कहना है ---- all elections are about the future. पिछे जो किए सो किए। अब आगे क्या करेंगे -- ये नीतिश को कहना है।

Laloo was the best Railway Minister India ever had. लालु ने १,००० साल पुरानी कास्ट सिस्टम को चैलेंज किया, छोटी मोटी बात नहीं है। उनके समय के शिक्षा मंत्री, और कितने सालों से उनके पार्टी के बिहार यूनिट के प्रमुख (एक ही तो स्टेट यूनिट है) मेरे मामा लगेंगे: रामचन्द्र पुर्वे। मेरी पैदाइश बिहार की है --- दरभंगा।

Nitish has been the best Bihari Chief Minister of my lifetime. But he is about to face his toughest election since 2005.

बिहार का मामला पेंचीदा है। Right now I think it is 50-50. It could go either way.

लेकिन सिर्फ सुशासन कहने से नहीं होगा। विकास का भविष्यमुखी एजेंडा देना होगा जनता को।

२०१४ में बिहार के लोगों ने मोदी को वोट दिया -- गलती नहीं किया। मोदी अच्छा काम कर रहे हैं।

In the market the consumer is always right. That is the premise. In an election, the voters are always right. That has to be the premise.