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Saturday, May 27, 2017

India-Japan Should Compete With OBOR

OBOR is an ambitious infrastructure initiative. But it makes tremendous sense for India and Japan to compete with it. Numerous small countries across Asia and Africa would benefit.

India is a political rival to China and Japan is an economic rival. Both are giant democracies that counter the police state suggestions of China.

Physical infrastructure can not be the only thing. India can offer a more holistic model of development.

The synergy will benefit India much as Japan is in a position to make massive investments in India.

The India Japan partnership could thrive without American or European participation. It is big enough on its own.

Friday, January 01, 2016

Modi: NRI Prime Minister नहीं, FDI Prime Minister



मोदी का विदेश भ्रमण और FDI
Modi: NRI Prime Minister?

आप ने दुकान खोला और लक ने साथ दिया और आपकी दोकान चल गयी। मानो। तब आप क्या करोगे? शटर गिराओ ये क्या हो गया? ये तो तमाशा हो गया। भीड़ जम गयी।

कि आप अपना Business Hours बढ़ाएंगे? कि १० घंटे कम पड़ गए, १२ करो। एक और दोकान खोल लो।

मोदी ने अपने पहले साल का विश्व भ्रमण वो नितांत एक आदमी का निर्णय था। मोदीका। कि ये जरुरी है। ये करना है। Modi: Man On A Mission.

He has been driven by his internal compass. And he has been so right. Bull's eye!

FDI में चीन तो चीन अमरिका को मात कर दिया। ये कोइ छोटा बात है क्या? मैं शुरू से ही देख रहा हुँ और इसी ब्लॉग पर कह भी रहा हुँ कि मोदी का एजेंडा है FDI -- इसिलिए वो दुनिया के कोने कोने में पहुँच रहे हैं। लेकिन ये जो नतिजा आया है, ये मैंने आते नहीं देखा। आया तो सुखद आश्चर्य हुवा। Exceeds expectations, my expectations.

Expense to the Indian taxpayer: Zero.

वो जिस देशमें जाते हैं वहाँ उनका जितना मीडिया कवरेज होता है, टीवी से लेके पेपर से ले के ऑनलाइन। जो भारतीय सोशल मीडिया पर शेयर करते हैं। सबका हिसाब करो। अगर उतना पेड बिज्ञापन करना पड़े तो क्या खर्च बैठता है? तो कोई एक्सपेंस है ही नहीं। मेरे को लगता है बल्कि मुनाफा है। FDI तो बोनस। अभी ३० बिलियन आया है। ३०० बिलियन लाना है मोदीको। तो पहले ही कदम पर सब कहेंगे रुको रुको रुको --- ये क्या है?

एक स्वस्थ लोकतंत्र में विपक्ष का रोल वो नहीं है। विपक्ष का रोल है कि अपना केस बनाना। कि मोदी, आप ने सिर्फ ३० बिलियन लाया। मैं ५० लाता और ऐसे। तो कैसे? रोडमैप दो। What is your roadmap?

मैकेनिकल किसिम से दुनिया भर दौड़ते रहो, वो मोदी का एजेंडा शायद ना हो। पहले डेढ़ साल में एक राउंड खत्म। अब दूसरा राउंड क्या है, वो तो मोदी को ही मालुम होगा। लेकिन भ्रमण ज्यादा हो गया, ये cutback करो --- that is the defeatist thinking that has kept India poor.

ग्लोबल इंडियन कम्युनिटी के प्रधान मंत्री हैं मोदी। उनका जनमत ग्लोबल है। वो तो एक बहुत बड़ा advantage है। पिछला ५०० साल युरोप का, अगला ५०० साल भारत का। कुछ इस किस्म का अंदाज होना चाहिए। लेकिन कोई मारधाड़ बाली बात नहीं। Commerce and trade. यूरोपी आए बर्बरता ले के आए। हम सभ्यता ले के जायेंगे। शांतिपूर्ण लोकतंत्र, योग, हरे राम हरे कृष्ण, बुद्ध। समृद्धि। बॉलीवुड।

जैसे कि मेरे को लो। मैं भारत में कभी रहा नहीं हुँ। लेकिन दुनिया में एक head of state है, सिर्फ एक, जो मेरा अपना है। मोदी पर मेरा भी उतना ही हक़ बनता है जितना किसी भारत में रहे मतदाता का। वैसे मैं पैदा हुवा दरभंगा में। मम्हारा सीतामढी जिला। लेकिन भारत में कभी रहे नहीं हैं। नेपाल में देखो, १९४७: अ लव स्टोरी हो रहा है।

मोदी ने उस दिशा में पहला कदम ले लिया है। उनका internal compass बिलकुल काम कर रहा है।

ये सॉफ्ट पावर का जमाना है। मोदी आज दुनिया के सबसे पॉपुलर पॉलिटिशियन हैं। उनको वो ताज पहने रहना चाहिए। उसके लिए जो करना पड़े। वो सिर्फ नए होने के कारण उस ताज तक पहुँचे वैसी बात नहीं है। जैसे मेरा उदहारण लो। I am more excited about Modi today than I was 18 months ago. १८ महिने पहले तो सिर्फ लग रहा था। लग रहा था शायद ये बंदा करेगा। अब तो मैंने देख लिया। कि ये कर रहा है। So I am more excited about Modi now. तो उनकी पॉपुलैरिटी नोवेल्टी पर आधारित नहीं है। गरीब देशों में लोगों को हौसला मिल रहा है। उनका पृष्ठ भुमि बहुत बड़ा अस्त्र बन गया है। नवाज के बारे में नेपाल में कहते हैं, ये तो टाटा बिरला है, इसको तो मालुम भी नहीं होगा कि पाकिस्तान में कोई गरीबी है भी।



अब्राहम लिंकन का सबसे प्रख्यात भाषण देखो।



कितना सरल है। लगता है भाषा देख के किसी हाई स्कूल बिद्यार्थी ने लिखा है होमवर्क में। सरल इस लिए है कि लिंकन को आम आदमी तक पहुंचना है। साधारण से साधारण आदमी समझ सके। प्रयास वो है। तो मोदी का जो पृष्ठ भुमि है वो तो राजनीतिक रूप से एक godsend है। दुनिया में किसी आदमी को relate करने में कोई दिक्कत नहीं होता। भाषा भी सरल बोलते हैं। जैसे सबका साथ सबका विकास। Distill करना जानते हैं।

मेरे तो पुछो तो प्रति व्यक्ति आय की पड़ी है। कि किसी तरह भारत में गरीबी ख़त्म हो जाए। मेरे लिए कोई इगो इशू नहीं है। कि चलो चिनिया को निचा दिखाओ या और किसी को।

तो मोदी के विश्व भ्रमण का पहला फेज खत्म है शायद। दुसरा फेज क्या हो सकता है? दुनिया का सबसे पॉपुलर पॉलिटिशियन बने रहो। उसके लिए जो करना है करो। क्यों कि उससे FDI डिपार्टमेंट में बहुत फायदा है।

एक ये भी हो सकता है कि अब return visit में दुनिया के प्रत्येक हेड ऑफ़ स्टेट को एक एक कर के बुलाओ। और बुलाओ तो सिर्फ दिल्ली नहीं। दिल्ली प्लस कमसे कम एक स्टेट। भारत देश नहीं महादेश है। प्रत्येक राज्य के पास अपना एक ग्लोबल आउटलुक होना चाहिए। पर्यटन में भी फायदा हो जाएगा।

Travel schedule change हो सकता है लेकिन drastic कटौती भारी गलती होगी। कि दुकान का शटर बंद करो।

अगर आपके देशका प्रधान मंत्री दुनिया का सबसे पॉपुलर पॉलिटिशियन हो तो अमेरिका का जो वार्षिक डिफेंस बजेट है वो मात हो गया समझो। सॉफ्ट पावर। तो उसका भी हिसाबकिताब कर लो लगे हाथ। डॉलर कितना बैठता है।

और FDI का मतलब सिर्फ पैसा नहीं होता। Management, technology, एक आत्म विश्वास कि हम ग्लोबली कम्पीट कर सकते हैं।


Thursday, December 31, 2015

मोदी का विदेश भ्रमण और FDI

कल जो मैंने कह दिया वो तो मैं राहुल पर व्यंग्य वान प्रहार कर रहा था। कि यार जरा FDI पर स्कूलिंग करो। मैं तो बहुत बड़ा फैन हुँ मोदी के भ्रमण का। दो बड़े बड़े काम हुवे हैं।

  • चीन को भी अमेरिका को भी मात करना। ये तो बहुत बड़ी बात हो गयी। नहीं? 
  • भारत को दुनिया के नक्से पर स्थापित किया। भारत सिर्फ भारत में नहीं है। भारत तो सरे विश्व में है। मोदी पर प्रवासी भारतीयों का भी तो हक़ बनता है। चीन ने पिछले २५ साल में जो किया है वो प्रवासी चिनिया समुदाय के बगैर कर ही नहीं सकते थे। 
I was totally joking. भाषा ही देखो मजाक का है। 

मोदी को दो चीज करने चाहिए। 
  • अपने रोडमैप पर चलो। विपक्ष ने कहा विदेश भ्रमण ज्यादा हो गया तो उसके आधार पर कटौती मत करो। 
  • बल्कि explain भी करते जाओ। जब आवाज आती है भ्रमण बहुत हुवा तो जवाब दो कि भ्रमण क्यों हो रहा है। 
वैसे भी मेरे को लगता है अब आगे के साल विदेश भ्रमण का सिलसिला वैसे भी naturally ही पहले साल से कम पड़ जायेगा। लेकिन dramatically कम हो गया तो खटकेगा। कि क्या हुवा? कहीं भारत FDI के लिए less welcoming तो नहीं हो गया? 

मोदी जब किसी देश का भ्रमण करते हैं और वहाँ  मीडिया कवरेज मिलती है अगर उतना स्पेस बतौर विज्ञापन खरीदना पड़े तो क्या हिसाब पड़ेगा? मेरे को लगता है वो मीडिया कवरेज --- that itself pays for the expenses associated with the visit. 

वैसे भी सरकार चलाने में किसी किस्म की कमी हुई हो वैसा तो मेरे को नहीं लगता। कि मोदी विदेश में है सरकार कौन चलाएगा। मंत्री मंडल है। सरकारी यंत्र है। राज्य राज्य में मुख्य मंत्री। 

Modi should follow his instincts and stick to his plan.