Showing posts with label India–Pakistan relations. Show all posts
Showing posts with label India–Pakistan relations. Show all posts

Saturday, December 12, 2015

काश्मीर: एक समस्या

लोग कहते हैं सबसे कठिन मसला है पलेस्टाइन का। गलत कहते हैं। दुनिया में सबसे कठिन मसला है कश्मीर का। कमसेकम पलेस्तिनियों के पास एटम बम तो नहीं।

तो इसको सुलझाया कैसे जा सकता है?

बहुतों ने दिमाग लगाया है। मेरे पास भी एक है। मैं भी कुछ बोल देता हुँ।

The solution is democracy. जब तक पाकिस्तान एक पुर्ण लोकतंत्र ना बन जाए तब तक कश्मीर समस्या ही रहेगा। पाकिस्तानी आर्मी और ISI को पुर्ण रूप से पाकिस्तानी संसद के तहत जब तक नहीं लाया जाएगा तब तक समस्या समाधान नहीं होगा।

इसका मतलब मैं ये नहीं कह रहा कि कश्मीर भारत का है या पाकिस्तान का। मैं कुछ कह ही नहीं रहा। मैं कह रहा वो बात बाद में करेंगे। पहला काम करो पाकिस्तान को एक पुर्ण लोकतंत्र बनाओ।

दो जन निर्वाचित सरकार जिसका पुरे गवर्नमेंट मशीनरी पर कब्जा है वो ये मसला आसानी से हल कर सकेंगे। अंततः कहेंगे जो हुवा सो हुवा इतिहास को भुलो आगे कि सोंचो line of control को बॉर्डर मान जाओ और ट्रेड पर फोकस करो पर्यटन पर फोकस करो people to people contact पर फोकस करो।

अंततः सारे दक्षिण एशिया को एक ही अर्थतंत्र बनना है। उसी में आम आदमी की भलाई है और ये आम आदमी का जमाना है।

तो पाकिस्तानी आर्मी और ISI को पार्लियामेंट के तहत लाएगा कौन? भारत? अमेरिका? नहीं। आम पाकिस्तानी जनता। एक समय आएगी जब जनता उस किस्मका मैंडेट देगी।

प्रश्न है वो समय कब आएगी। Can it be hastened? How?